राधे राधे -जय श्री कृष्णा!
राधा स्वरुप देवी – जया किशोरी जी!
Jaya Kishori Ji Biography
जया किशोरी जी का जीवन परिचय
जया किशोरी जी का असली नाम “जया शर्मा” है और इनका जन्म 13 जुलाई 1995 को “कोलकाता” में हुआ था. इनके पिताजी ” शिव शंकर शर्मा ” और माता जी का नाम “सोनिया शर्मा” है. वैसे जया किशोरी जी सुजानगड, राजस्थान से हैं और ज्यादा समय इन्होने अपने दादा जी और दादी जी के पास ही बिताया है इसलिए वह मारवाड़ी भाषा बहुत अच्छे से बोल लेती है. यहाँ तक की जया किशोरी जी कथा भी मारवाड़ी भाषा में ही करती हैं. उनका मानना है की अपनी भाषा कभी नहीं छोड़नी चाइये और मारवाड़ी एक मीठी भाषा है तो कथा भी मारवाड़ी में ही करती हैं. जाया किशोरी जी बंगाल में भी रही है तो उन्हें बंगाली भाषा भी आती है.
जया किशोरी जी एक आध्यात्मिक गुरु हैं और भगवन श्री कृष्ण जी की बहुत बड़ी भक्त हैं. जया किशोरी जी के भजन और जया किशोरी जी की कथा सुनने के लिए देश भर से बच्चे, पुरुष, महिलायें बड़ी संख्या में आते हैं. जया किशोरी जी की वाणी में इतनी मिठास है की उनके भक्तगण उन्हें आज के युग की “मीरा” मानते हैं.
जया किशोरी जी ने अपने बारे में बताया है की वह ना तो संत है, ना साधु और ना साध्वी है, वह अपने आप को दूसरों की तरह एक आम लड़की मानती है. इसलिए वह कहती है की अगर में संसार के बीच रहते हुए भगवान की भक्ति कर सकती हूँ तो हर बच्चा कर सकता है. उन्होंने कहा है की वह आगे जाकर सांसारिक जीवन यानि की ग्रहस्ती जीवन निभाएंगी मतलब वह शादी करेंगी मगर कथा कभी नहीं छोड़ेंगी, कथा जिंदगी भर करती रहेंगी.

Jaya Kishori Ji Ke Guru
जया किशोरी जी अपना गुरु किसे मानती है?
जया किशोरी जी अपना गुरु स्वर्गीय गुरु श्री रामसुखदास जी महाराज और भगवद आचार्य विनोद कुमार जी सहल को मानती है.
जब जया किशोरी छोटी थी तब उनके पापा जी और दादा जी श्री रामसुखदास जी महाराज के भजन और उनकी कथा सुनते थे, तभी से जया किशोरी जी का भी इनके भजन सुनने का मन बना और उन्हें अच्छा लगने लगा, बस तभी से उन्होंने उन्हें अपना गुरु मान लिया था.
जया किशोरी के श्रीमदभगवत कथा के गुरु हैं- भगवद आचार्य पंडित विनोद कुमार जी सहल
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Jaya Kishori Husband
जया किशोरी जी के पति कौन है?
Is Jaya Kishori ji married? जया किशोरी जी ने यह पहले ही साफ़ कर दिया है की वह आने वाले समय में शादी जरूर करेंगी. लेकिन अभी तक जया कुमारी जी की शादी नहीं हुई है. उनका मानना है की गृहस्थ जीवन के साथ साथ भगवन को भी याद किया जा सकता है और इसीलिए उन्होंने कहा है की शादी के बाद भी वह कथा/ भजन नहीं छोड़ेंगी.
Jaya Kishori ke Bhajan
जया किशोरी जी के भजन
जया किशोरी जी ने मात्र 6 साल से ही भजन गाने शुरू कर दिए थे.
राधा स्वरुप देवी – जया किशोरी जी की वाणी में बहुत मिठास है इसीलिए उनके द्वारा गाये गए भजन उनके भक्तों को बहुत ही अच्छे लगते हैं. जया किशोरी जी को देखने और उनके भजन को सुनने के लिए दूर-दूर से भक्तगण उनके समारोह में आते हैं.
- खाटू जो पहुँचा पहली बार, दिल को लुभाया ये दरबार
- हर बात को भूलो मगर, माँ- बाप को मत भूलना
- हरे रामा हरे रामा हरे कृष्णा
- मेरी लगी श्याम संग प्रीत, ये दुनिया क्या जाने
- राधिका गोरी से, बृज की चोरी से, मैया करादे मेरो ब्याह
- कस्मे, वादे, प्यार, वफ़ा सब बाते हैं बातों का क्या
- मीठे रस से भरीयो री राधा रानी लागे
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Jaya Kishori Ji Ki Katha
जया किशोरी जी की कथा
जया किशोरी जी ने कथा की शुरुवात स्वामी श्री रामसुखदास जी महाराज की कथा सुनने के बाद ही शुरू करी थी.
आजकल जया किशोरी जी ” नानी बाई का मायरो “, “श्रीमदभगवत कथा” जैसी कथाएं करती है.
- नानी बाई का मायरो
- श्रीमदभगवत कथा
जया किशोरी जी अपनी कथा में एक व्यंग अक्सर कहती है – “चमत्कार को नमस्कार – आज उसी का समय चल रहा है ” कहने का अर्थ यह है की आप एक-दो चमत्कार देख कर किसी पर भरोसा ना करें. जया किशोरी जी के कहने का तात्पर्य यह है की आज कल हम किसी का चमत्कार देख कर उस पर भरोसा करने लगते हैं, भरोसा भी ऐसा की उसे भगवान मानने लगते हैं, ऐसा नहीं करना चाहिए. जया किशोरी कहती है की भगवान को भगवान रहने दो और इंसान को इंसान रहने दो. इंसानों को भगवान मत बनाओ.
जब जब हमने इंसानों को भगवान की पद्दति दी है तब-तब गलत हुआ है. आप इंसान को संत बना सकते हो, साधु बना सकते हो, गुरु बना सकते हो – अच्छी बात है क्योंकि अगर आप उनसे कुछ सीख रहे हो तो आप उनको यह सब बोल सकते हो, मगर भगवान कभी मत बनाइये. भगवान सिर्फ एक है.
Jaya Kishori Ji – Motivational Speaker
आजकल जया किशोरी जी ने “Motivational Speaker” बन कर भी युवाओं के लिए बहुत ही प्रेरणास्त्रोत काम शुरू किया है. वह स्कूल/ कॉलेज में जाती हैं “Motivational Speaker” के रूप में और बच्चों को जिंदगी कैसे जिनी चाहिए अपने माता- पिता को साथ में लेकर के बारे में बताती हैं
धर्म और अधर्म की परिभाषा क्या है?
राधा स्वरुप देवी – जया किशोरी जी कहती है की धर्म और अधर्म की बहुत बड़ी परिभाषा है, मगर एक सरल तरीके से आपको समझाती हूँ-
“परहित सरिस धर्म नहीं भाई ।
पर पीड़ा सम नहीं अधमाई ।।”
मतलब, किसी ओर की सेवा करना, किसी ओर को प्रसन्नता प्रदान करना, उनकी सहायता करना – इससे बड़ा कोई धर्म नहीं है और किसी को पीड़ा पहुँचाना, किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचाना- इससे बड़ा कोई अधर्म नहीं है.
खाटू श्याम भगवान – जया किशोरी जी के प्यारे
जया किशोरी जी की खाटू श्याम भगवान जी में बड़ी आस्था है. इसलिए वह हर साल, खाटू श्याम भगवान जी के मंदिर में जरूर जाती हैं. जया किशोरी जी ने खाटू श्याम भगवान जी के भक्तों के लिए एक बहुत ही प्यारा भजन भी गाया है जो इस प्रकार है-
“खाटू जो पहुँचा पहली बार, दिल को लुभाया ये दरबार,
कुक सी दिल में उठने लगी, श्याम से हो गया मुझको प्यार,
झुक कर किया नमन, झुक कर किया नमन,
झुक कर किया नमन की मेरे दिन बदल गए,
जब से मिली शरण की मेरे दिन बदल गए”