नागा साधुओं को सनातन वैदिक धर्म की सशस्त्र सेना कहा जाता है जिसकी स्थापना शंकराचार्य गुरु ने करी थी। इस्लामिक आक्रमणकारियों से हिन्दू धर्म और भारत की रक्षा करने के लिए नागा साधुओं का बहुत बड़ा योगदान है।
नागा साधु हिमालय की पहाड़ियों और गुफाओं में रहते हैं और भगवान शिव की तपस्या करते हैं। जब कुम्भ का मेला आता है तब सभी नागा साधु वहां पहुँच कर गंगा में शाही स्नान करते हैं। नागा साधु अपने शरीर में कोई वस्त्र धारण नहीं करते हैं और ये हमेशा नंग्न अवस्था में ही रहते हैं इसीलिए इन्हे दिगंबर भी कहा जाता है।
नागा साधुओं का नाम “नागा” कैसे पड़ा?
नागा का संस्कृत में मतलब होता है “पहाड” – “पर्वत“. नागा साधु अक्सर हिमालय की पहाड़ियों में रहते हैं इसीलिए इन्हे नागा साधु के नाम से जाना जाता है।
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नागाओं का इतिहास
ऐसा कहा जाता है की शंकराचार्य के समय में मुस्लिम आक्रमणकारी भारत में घुसपैठ करते थे और यहाँ पर मौजूद मंदिरों को लुटा और उन्हें ध्वस्त भी किया जाता था। उनकी रक्षा करने के लिए आदि गुरु शंकराचार्य ने “अखंड भारत” की स्थापना करी थी जिसमे सशस्त्र बलों का उपयोग आश्रम, अखाडा और मंदिरों को इस्लामिक आक्रमणों और हमलों से बचाने में किया जाता था।
नागा साधुओं को आखाड़े में सनातन वैदिक धर्म की रक्षा के लिए हथियारों का उपयोग करना सिखाया जाता था।
नागाओं की जीवन शैली
नागा साधुओं का जीवन बहुत ही कठोर अनुशाशन से भरा हुआ होता है। नागा साधु नग्न रहते हैं और अपने पुरे शरीर पर धूनी की राख लपेटी होती है। ये भगवान शिव के परम भक्त होते हैं और इन्ही का ध्यान और तपस्या करते रहते हैं।
नागा साधु आम लोगों के बीच में ना रहते हुए हिमालय की पहाड़ियों / गुफाओं में रहते हैं। चाहे कितनी ही ठण्ड क्यों न हो, नागा साधु हमेशा नग्न ही रहते है।
नागा साधु अपने साथ त्रिशूल, तलवार, शंख और चिलम रखते हैं। नागा साधु कुम्भ के मेले के समय आते हैं शाही स्नान के लिए और बाद में वापिस हिमालय की गुफाओं में चले जाते हैं। कई नागा साधु सनातन धर्म द्वारा स्थापित “आखाड़ों” में भी रहते हैं।

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नागा साधुओं का युद्ध
नागा साधुओं ने सनातन वैदिक धर्म की रक्षा के लिए कई बार युद्ध लड़ा। ऐसा माना जाता है की 40000 से भी ज्यादा नागाओं ने सनातन वैदिक धर्म की रक्षा के लिए अपना योगदान दिया।
इस्लामिक आक्रमणकारियों और नागा साधुओं के बीच कई बार युद्ध हुए जिसमे नागा साधु मर भी जाते थे। नागा साधु का सबसे प्रमुख युद्ध नागा और अहमद शाह अब्दाली के बीच का भयंकर युद्ध था।
अहमद शाह अब्दाली ने गोकुल मथुरा श्री कृष्णा मंदिर – वृन्दावन पर हमला बोल दिया था। जैसे ही नागा साधुओं को इस बारे में पता चला तो बड़ी संख्या में सभी एक साथ इकट्ठे हो कर वहां आ गए। उस समय नागा और अहमद शाह अब्दाली के बीच भयंकर युद्ध हुआ और आखिर में अहमद शाह अब्दाली को हार मान कर वापिस जाना पड़ा। इस तरह नागा साधुओं ने गोकुल मथुरा श्री कृष्णा मंदिर – वृन्दावन की रक्षा करि थी।
नागा साधु भारत में कहाँ रहते हैं?
वैसे तो नागा साधु हिमालय की पहाड़ियों/ गुफाओं में रहते हैं इसीलिए इन्हे “गुफा में रहने वाले साधु” के नाम से भी जाना जाता है।
इसके अलावा कई नागा साधु – मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान में स्थित “अखाड़ों” में भी रहते हैं।
नागा साधून अक्सर महाकुंभ, अर्धकुंभ या फिर सिंहस्थ कुंभ में देखे जा सकते हैं।
नागा साधुओं के पास क्या शक्ति होती है?
नागा साधुओं को बहुत ही शक्तिशाली माना जाता है, इनके पास कुछ दैवीय शक्तियां होती हैं। वैसे तो ये बड़े शांत रहते हैं मगर कोई इन्हे तंग करे तो ये अपनी शक्तियां दिखाते हैं. नागा साधुओं की ट्रेनिंग बड़ी ही खतरनाक होती है जिसमे इन्हे तलवार तक चलाना सिखाया जाता है।
नागा साधु बनने से पहले कठोर तपस्या से गुजरना पड़ता है जैसे की ब्रह्मचर्य , पिंड दान, लिंग भंग इत्यादि।
नागा साधुओं के पास क्या हथियार होते हैं?
नागा साधु सनातन वैदिक धर्म की रक्षा करते आये हैं और इनके मुख्य हथियारों में त्रिशूल, तलवार, शंख और चिलम आते हैं।
नागा साधुओं के गुरु कौन हैं?
नागा साधु शिव और अग्नि के परम भक्त माने जाते हैं।
नागा साधु तपस्या क्यों करते हैं?
नागा साधु मृत्यु और पुनर्जन्म के 84 लाख योनियों के चक्र से बचने के लिए तपस्या करते हैं।
नागा साधु का भोजन क्या होता है?
आपको यह जान कर आश्चर्य होगा की नागा साधु दिन में केवल एक बार ही भोजन करते हैं। नागा साधु की तपस्या इतनी कठिन होती ही की ये कई दिनों तक बिना कुछ खाये-पिए भी रह सकते हैं।
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नागा साधु बनने की प्रक्रिया
क्या आप नागा साधु बनने की प्रक्रिया जानना चाहते हैं?
नागा साधु बनने के लिए कठिन प्रक्रिया और तपस्या से गुजरना पड़ता है और इस पुरी प्रक्रिया में 6 साल ताल लग जाते हैं। जो नया सदस्य होता है उसे नागा साधु बनने से पहले तक सिर्फ लंगोट ही धारण करना होता है. और जब नागा बनने की सभी प्रक्रिया समाप्त हो जाती है तब लंगोट भी त्याग देते हैं।
आइए जानते हैं नागा साधु बनने की प्रक्रिया-
1. ब्रह्मचर्य :-
अगर कोई नागा साधु बनना चाहता है तो सबसे पहले उसे सनातन वैदिक धर्म द्वारा स्थापित “अखाड़ों” में जाना होता है। वहां जाकर सबसे पहले उसके और उसके परिवार के बारे में जाना जाता है और अगर लगे की यह नागा साधु बनने की प्रक्रिया में जा सकता है तो तभी उसे आखाड़े में प्रवेश मिलता है।
नागा साधु बनने की जो सबसे पहली प्रक्रिया होती है वह है-ब्रह्मचर्य प्रक्रिया। आखाड़े में प्रवेश के बाद सबसे पहले आपको ब्रह्मचर्य की परीक्षा से गुजरना होता है। यदि आप ब्रह्मचर्य की परीक्षा में सफल हो जाते हो तो फिर उसके बाद अगली प्रक्रिया में जा सकते हो जिसका नाम है “महापुरुष”।
2. महापुरुष-
इस प्रक्रिया में नागाओं को महापुरुष बनाया जाता है। नागा साधु बनने के लिए जो महापुरुष प्रक्रिया होती है उसमे आपके 5 गुरु बनाये जाते हैं- शिव, विष्णु, शक्ति, सूर्य और गणेश, जिन्हे हम “पंच परमेश्वर” भी कह सकते हैं। महापुरुष प्रक्रिया में आपको नागाओं के आभूषण दिए जाते हैं जैसे की रुद्राक्ष, भगवा, भस्म।
3. अवधूत
इस प्रक्रिया में नागाओं को अवधूत बनाया जाता है।अवधूत बनाने की प्रक्रिया में सबसे पहले उनके बाल काटे जाते हैं और फिर पिंडदान करना होता है। जो आखाड़े के पुरोहित होते हैं वो ही पिंडदान करवाते हैं। इसका मतलब यह होता है की उनके लिए उनका परिवार मर चुका है और वो सभी सांस्कारिक कर्मों से अपने आप को अलग करते हैं।
4. लिंग भंग-
नागा साधु बनने की प्रक्रिया में लिंग भंग करना होता है यानि की लिंग को वैदिक मंत्रों के साथ झटके देकर निष्क्रिय किया जाता है। इस प्रक्रिया के उपरांत वह पूर्ण रूप से नागा साधु बन जाता है और उसे नया नाम, नई पहचान दी जाती है।
विदेशी महिला नागा साधु
जी हाँ, नागा साधुओं में अब विदेशी महिलायें भी शामिल हो रही हैं. विदेशी महिलायें खासकर यूरोपियन देशों से नागा साधु बनने के लिए भारत में आती हैं और जब वे सारी प्रक्रिया अच्छे से पूर्ण कर लें तब उन्हें साधु बना दिया जाता है। विदेशी महिलाओं की नागा साधुओं में बड़ी आस्था है, वे इनके जीवन से प्रेरित होकर नागा साधु बनने के लिए भारत आती हैं।