शिरडी के साईं बाबा की – जय हो!
साईं बाबा जिन्होंने “सबका मालिक एक” का उपदेश दिया आज भी करोड़ों भक्तों के सर्वप्रिय हैं. साईं बाबा के जीवन की कई बातें आज भी रहस्यमय रही हैं जैसे की उनका जन्म कहाँ और कब हुआ. साईं बाबा को दत्तात्रेय भगवान का 5वां अवतार माना जाता है. उन्होंने अपने अनुयायियों और भक्तों को एक नैतिक जीवन जीने के लिए प्रेम, क्षमा, बिना किसी भेदभाव के हर प्राणी से प्यार, दुसरो की सहायता, दान, संयम का पाठ पढ़ाया।
साईं बाबा को शिरडी के साईं बाबा के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि उन्होंने अपना ज्यादातर जीवन शिरडी में ही व्यतीत किया है. शिरडी जगह भारत के महाराष्ट्र राज्य में आती है जहाँ पर हर रोज लाखों भक्त शिरडी साईं बाबा मंदिर में साईं बाबा के दर्शन करने आते हैं. साईं बाबा की अपने भक्तों पर सदा कृपा बनी रहती है और यही कारण है की आज भी करोड़ों दिलों के मन में साईं बाबा रहते हैं.
साईं बाबा की पूजा गुरुवार के दिन की जाती है और इस दिन देश भर में स्थित सभी साईं बाबा के मंदिरों में बहुत भीड़ देखी जाती है. और इस दिन साईं बाबा के भक्त पीले रंग के कपडे पहनते हैं और पीले रंग का ही भोजन करते हैं क्योंकि साईं बाबा को पीला रंग बहुत पसंद था.
साईं बाबा को हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्म के लोग बहुत मानते हैं बल्कि शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने तो साईं बाबा को एक मुस्लिम तक बता दिया था लेकिन इस बात का कोई तथ्य नहीं है की साईं बाबा एक मुस्लिम थे.
शिरडी के साईं बाबा
- साईं बाबा का असली नाम:- हरिभाऊ भुसारी
- साईं बाबा की जन्म तिथि :- 1838 (लेकिन इस बात का कोई तथ्य नहीं है)
- साईं बाबा का जन्म स्थान :- पथरी गांव (शिरडी के पास)
- साईं बाबा की मृत्यु तिथि :- 15 अक्टूबर 1918
- साईं बाबा का मृत्यु स्थान :- शिरडी, महाराष्ट्र (भारत)
- आयु :- 80 वर्ष (1838–1918)
- साईं बाबा का मुख्य मंदिर :- शिरडी ईं बाबा मंदिर, शिरडी, महाराष्ट्र
जरूर पढ़ें >> Sadhguru Jaggi Vasudev | Life Story – Quotes – Books – Wife – Daughter
साईं बाबा का बच्चपन
ऐसा कहा जाता है की साईं बाबा का जन्म पथरी गांव में ब्राह्मण माता-पिता के घर हुआ था और बचपन में ही उन्हें एक फकीर अपने साथ ले गए थे. जब फ़क़ीर अपने घर पहुँचा तो फ़क़ीर ली पत्नी ने उन्हें भोजन खिलाया और बाद में उन्हें हिंदू गुरु वेंकुसा के देखभाली के लिए छोड़ दिया था. साईं बाबा एक शिष्य के रूप में वेंकुसा के साथ 12 साल तक रहे.

साईं बाबा शिर्डी में
साईं बाबा जब 16 साल के थे तब महाराष्ट्र के शिरडी गांव में आ गए थे. उसके बाद साईं बाबा शिरडी में ही 3 साल तक रुके और फिर १ साल तक शिरडी छोड़ कर कहीं चले गए. किसी को नहीं पता चला की साई बाबा कहाँ चले गए. इसके बाद साई बाबा 1858 के आस-पास वापिस शिरडी में आ गए थे और सबसे पहले उन्हें शिरडी के खंडोबा मंदिर में पुजारी महालसापति ने देखा था. पुजारी महालसापति ने उन्हें देखते ही सबसे पहले जो शब्द अपने मुख से निकाले वो थे “आओ साईं!” तभी से इनका नाम “साईं बाबा” पड गया था.
शुरुवात में साईं बाबा 3 – 4 साल तक नीम के पेड़ के नीचे ही रहते थे और पास के जंगलों में ज्यादा समय बिताते थे. उसके बाद, साईं बाबा पुरानी और टूटी हुई मस्जिद में रहने लग गए और वहां पर उनसे मिलने हिन्दू और मुस्लिम धर्म के लोग आने लग गए.
मस्जिद में, साईं बाबा एक पवित्र अग्नि को जलाये रखते थे जिसे धूनी कहा जाता है और उस धूनी से पवित्र राख (‘उदी’) बनती थी, उसे अपने पास आने वाले लोगों को दे देते थे. ऐसा माना जाता है की साईं बाबा द्वारा दी गयी राख से कोई भी बीमारी ठीक हो जाती थी, इस तरह साईं बाबा कप गांव में रहने वाले सभी हकीम के तोर पर याद करते थे.
साईं बाबा ने हिन्दू धर्म के लोगों को रामायण और भगवत गीता पढ़ने के लिए प्रेरित करते थे और मुसलमानों को क़ुरान पढ़ने के लिए. 1910 के आस – पास साईं बाबा महाराष्ट्र में बहुत प्रसिद्ध हो गए थे और उनके पास दूर -दूर से लोग आते थे अपने कष्टों को मिटाने के लिए.
साईं बाबा की मृत्यु
साईं बाबा ने अगस्त 1918 को अपने भक्तों से कहा की वह अब इस शरीर का त्याग करने वाले हैं और सितम्बर 1918 में साईं बाबा बहुत ज्यादा बीमार हो गए और उन्होंने भोजन खाना भी छोड़ दिया था.
उन्होंने अपने शिष्यों से पवित्र ग्रंथों का पाठ करने के लिए कहा और भक्तों से मिलना जुलना जारी रखा. 15th अक्टूबर 1918 को साई बाबा ने आखरी सांस ली. साईं बाबा की मृत्यु के उपरान्त उनके अवशेषों को शिरडी में “बूटी वाडा” में रखा गया था जो की आज “श्री समाधि मंदिर ” और “शिरडी साई बाबा मंदिर” के नाम से जाना जाता है.
शिरडी साईं बाबा मंदिर किसने बनाया था?
साईं बाबा का एक भक्त जिनका नाम “गोपालराय बूटी” था उन्होंने शिरडी साईं बाबा मंदिर बनवाया था.
साईं बाबा हिन्दू थे या मुस्लमान?
साईं बाबा हिन्दू थे या मुस्लमान इस बात का रहस्य आज तक बना हुआ है. लोगों की अलग-अलग धरना है इस बात को लेकर, कई कहते हैं की साई बाबा का जन्म ब्राह्मण माता-पिता के घर में हुआ था. कइयों का यह भी ,मानना है की साई बाबा के पहनावे से वो मुस्लिम लगते थे और ये रहते भी एक मस्जिद में थे इसीलिए साई बाबा एक मुस्लिम थे जिनका नाम चांद मियां था जो 1838 में पैदा हए थे.
शिर्डी साईं बाबा लाइव दर्शन
क्या आप साई बाबा के Live दर्शन करना चाहते हो? शिरडी साई बाबा मंदिर में रोज साई बाबा की आरती होती है जहाँ लाखों में श्रद्धालु आते हैं. जो श्रद्धालु शिरडी साई बाबा के मंदिर में नहीं जा पाते वह शिर्डी साईं बाबा के लाइव दर्शन कर सकते है, इसके लिए आपको इस लिंक पर क्लिक करना होगा or लाइव दर्शन चरणों का पालन करें –
- सबसे पहले इस लिंक पर क्लिक करें – http://www.mysai.org/
- अब “Shirdi Sai Baba Resources” पर क्लिक करें.
- इसके बाद “Live Darshan from Shirdi” पर क्लिक करें.
- आखिर में साईं बाबा के लाइव दर्शन के लिए वीडियो प्ले करैं.
साईं बाबा की पूजा गुरुवार के दिन विशेष रूप से क्यों की जाती है?
गुरुवार गुरु या ब्रहस्पति ग्रह को समर्पित है। यह दिन गुरु दत्तात्रेय को भी समर्पित है। साईं बाबा दत्तात्रेय भगवान के अवतार मने जाते हैं, इसलिए साईं बाबा की पूजा गुरुवार के दिन ही की जाती है.
Thursday का हिंदी में मतलब होता है “रुवार” यानि की “गुरु का दिन“. साईं बाबा के भक्त इन्हे अपना गुरु मानते थे इसलिए गुरुवार के दिन साईं बाबा की पूजा की जाती है.
साईं बाबा का नाम साई कैसे पड़ा?
साईं बाबा जब शिरडी में 1 साल बाद लोटे थे तब उन्हें शिरडी के खंडोबा मंदिर के पुजारी महालसापति ने सबसे पहले देखा था और उनके मुख से जो पहला शब्द निकला वह था “आओ साईं !” तभी से उनका नाम साईं पढ़ गया और सभी उन्हें “साईं बाबा ” कहकर पुकारने लगे.
साईं बाबा के चमत्कार
शिरडी साईं बाबा अपने शिष्यों और भक्तों को समय- समय पर चमत्कार दिखते रहते थे. साईं बाबा के कई चत्मकार थे लेकिन कुछ खास चत्मकार जिन्हे देख कर साईं बाबा के अनुयायी भौचक्के रह जाते थे वे इस प्रकार हैं-
- पानी से दीपक जलाना,
- अपने अंगों या आंतों को हटाना और फिर उन्हें वापिस अपने शरीर में लगाना.
- असाध्य बीमारी जैसे की कैंसर तक का इलाज पवित्र राख से करना,
- एक मस्जिद को लोगों पर गिरने से रोका
- साईं बाबा ने श्री राम, कृष्ण, शिव और कई अन्य देवताओं के रूप में लोगों को दर्शन दिए.
- साईं बाबा जो की एक फ़क़ीर थे वह अपने भक्तों को सोने-चांदी के सिक्के दिया करते थे
- साईं बाबा ने शिरडी में आये भरी तूफ़ान और भारिश को अपनी ललकार से रोका था
- 3 साल की बच्ची को कुएं से निकल कर उसकी जान बचाई थी
- शिरडी में मौजूद साईं बाबा के मंदिर में साई बाबा की मूर्ति रखी हुई है और उनकी मूर्ति की उंगली से लगातार 1 घंटे तक पानी निकलता रहा.
साईं बाबा चालीसा
साईं बाबा चालीसा का पाठ रोजाना करते रहिये ताकि शिरडी साईं बाबा का आशीर्वाद उनकी कृपा आप पर हमेशा बानी रही.
पहले साईं के चरणों में, अपना शीश नमाऊं मैं।
कैसे शिरडी साईं आए, सारा हाल सुनाऊं मैं॥
साईं बाबा चालीसा पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें.
साईं बाबा के भजन
- साईंनाथ तेरे हजारों हाथ…
- एक फकीरा आया शिर्डी गाँव मे
- शिव भोला भंडारी सांई
- शिर्डी साईं द्वारकामाई
- साई की नगरिया जाना है रे बंदे
- एक फकीरा आया शिरडी गांव में…
- साईं की नगरीया जाना है बंदे ..
साईं बाबा के मंत्र
साईं नाम के 12 मंत्र हैं जिनका आप उच्चारण कर सकते हैं–
- ॐ साईं राम,
- ॐ साईं गुरुवाय नम:,
- सबका मालिक एक है,
- ॐ साईं देवाय नम:,
- ॐ शिर्डी देवाय नम:,
- ॐ समाधिदेवाय नम:,
- ॐ सर्वदेवाय रूपाय नम:,
- ॐ शिर्डी वासाय विद्महे सच्चिदानंदाय धीमहि तन्नो साईं प्रचोदयात,
- ॐ अजर अमराय नम:
- ॐ मालिकाय नम:,
- जय–जय साईं राम,
- ॐ सर्वज्ञा सर्व देवता स्वरूप अवतारा।
साईं बाबा की आरती
श्री साईं बाबा जी की आरती
शिरडी के साईं बाबा की 2 आरती हैं-
साईं बाबा की आरती – 1
आरती श्री साईं गुरुवर की |
परमानन्द सदा सुरवर की ||
साईं बाबा की आरती – 2
आरती उतारे हम तुम्हारी साईँ बाबा ।
चरणों के तेरे हम पुजारी साईँ बाबा ॥
साईं बाबा की आरती हिंदी में पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करैं.
साईं बाबा के गाने
- शिरडी वाले साईं बाबा आया है तेरे दर पे सवाली …
- साईंनाथ तेरे हजारों हाथ…
- सुन लो साईं बाबा विनती हमारी…
- साई बाबा बोलो…
साईं बाबा की फिल्म
साईं बाबा के ऊपर भारत में कई भाषाओँ में फिल्मे बानी हैं-
साईं बाबा की फिल्म हिन्द में-
- शिरडी के साईं बाबा
- शिरडी साईं बाबा
- ईश्वर्या अवतार साईं बाबा
साईं बाबा की फिल्म मराठी में-
- शिरीद चे साईं बाबा
- साईं बाबा
साईं बाबा की फिल्म तेलगु में-
- श्री शिरडी साईं बाबा महाथीम
- श्री साईं महिमा
- शिरडी साईं
साईं बाबा की फिल्म तमील में-
- माया
- सद्गुरु साईं बाबा
- शिरडी साईं बाबा
साईं बाबा की फिल्म कन्नड़ में-
- भगवान श्री साईं बाबा